जयंत ने जिस मुद्दे पर छोड़ा अखिलेश का साथ, उसी पर बीजेपी संग पकड़ी रफ्तार, RLD में पनप रहा असंतोष

शादाब रिजवी, मेरठः वेस्ट यूपी की मीरापुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच 'सिंबल हमारा कैंडिडेट तुम्हारा' की नीति से सियासी माहौल गरम है। आरएलडी खेमे में नाराजगी दिख रही है। सियासी जानकार भी

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शादाब रिजवी, मेरठः वेस्ट यूपी की मीरापुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच 'सिंबल हमारा कैंडिडेट तुम्हारा' की नीति से सियासी माहौल गरम है। आरएलडी खेमे में नाराजगी दिख रही है। सियासी जानकार भी सवाल उठा रहे हैं। उनका तर्क है कि जब रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर इस फार्मूले को नकार कर अखिलेश यादव का साथ छोड़ दिया था फिर अब उसी मुद्दे पर बीजेपी संग आगे क्यों बढ़े? जबकि असलियत यह है कि गठबंधन की सियासत करने में माहिर रालोद पहले भी दूसरे दलों के कैंडिडेट अपने सिंबल पर लड़ाती रही है।
यूपी की 9 (वेस्ट यूपी की 4) विधानसभा सीटों पर वोटिंग हालांकि13 नवंबर को होगी लेकिन मुजफ्फरनगर जिले की (बिजनौर लोकसभा क्षेत्र की) मीरापुर सीट हॉट बनी है। वजह रालोद के हिस्से में आई मीरापुर सीट पर बीजेपी नेत्री मिथलेश पाल को टिकट दिया जाना है। इससे रालोद खेमे में नाराजगी साफ देखी जा सकती है। मीरापुर पर प्रमुख दल से कोई जाट कैंडिडेट नहीं उतारा है। किसानों और जाटों की पार्टी कही जाने वाली रालोद ने भी जाट कैंडिडेट से किनारा किया।

रालोद के एक प्रदेश पदाधिकारी की मानें तो इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में जयंत ने रालोद और सपा का गठबंधन जयंत ने यह कहकर तोड़ दिया था कि मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर सपा अपना कैंडिडेट रालोद के सिंबल पर उतराना चाहती हैं। हमें यह मंजूर नहीं हैं। जबकि रालोद नेता याद दिला रहे है कि कैराना लोकसभा सीट पर हुकुम सिंह के निधन के बाद 2019 में हुए उपचुनाव में रालोद के सिंबल पर सपा नेत्री तबस्सुम हसन (सांसद इकरा हसन की मां) चुनाव लड़कर जीती थी।

साल 2022 के विधानसभा चुनाव में मेरठ जिले की (बागपत लोकसभा क्षेत्र की) सिवाल खास सीट पर रालोद के सिंबल पर सपा नेता गुलाम मोहम्मद चुनाव लड़कर जीते थे। दो और सीटों पर सपा नेता रालोद के सिंबल पर लड़े थे। सवा उठा रहे है कि फिर मुजफ्फरनगर में सपा नेता को रालोद के सिंबल पर लड़ाने में क्या गलत था। इस नेता का कहना है कि अगर अपने सिंबल पर दूसरे दल के नेता को नहीं लड़ाना है फिर अब मीरापुर से बीजेपी नेत्री को क्यों लड़ाया जा रहा हैं।

किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह का भी कहना है कि जयंत ने 'बाहरी प्रत्याशी' के मुद्दे पर इंडिया गठबंधन इसी साल छोड़ा था, अब तत्काल आयात करके भाजपा की एक नेत्री को मीरापुर से टिकट दे दिया। लगता है आरएलडी में जाट समाज केवल वोट और नोट देने के लिए या दरी बिछाने के लिए है। संघर्ष में सबसे आगे जाट होंगे, लाठी जाट खायेंगे, मुकदमे जाट झेलेंगे, परंतु टिकट में जाटों का नंबर सबसे पीछे होगा। इस मुद्दे पर रालोद नेता बोलने को तैयार नहीं हैं।

जाटों पर डोरे डालने लगे सुंबुल के ससुर
जाट समाज से मीरापुर सीट पर कोई कैंडिडेट नहीं होने और रालोद से भी भाजपा की अति पिछड़े समाज की नेत्री को टिकट देने के बाद सपा ने जाटों पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। हालांकि 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट मुस्लिम समीकरण समाप्त हो गए थे। सपा कैंडिडेट सुंबुल के ससुर पूर्व सांसद कादिर राणा मुजफ्फरनगर दंगे में आरोपी हैं। अब खुद राना मुस्लिमों के साथ जाटों को जोड़ने निकले हैं। पहले पहले राना ने भाकियू नेता नरेश टिकैत और राकेश टिकैत (टिकैत बंधुओं) से मुलाकात की।

फिर जाट नेता सपा सांसद हरेंद्र मलिक के घर जा पहुंचे। माना जा रहा है कि सरकार के खिलाफ लामबंदी रखने वाले विपक्ष के बड़े जाट चेहरों से मुलाकात कर पूर्व सांसद राणा मीरापुर के लिए स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं। पीडीए सपा का फार्मूला है। मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में के करीब 50 गांव में जाटों के 35 हजार से ज्यादा वोट हैं। सपा अगर सेंधमारी करने में कामयाब रही तो इसका सीधा नुकसान भाजपा- रालोद को होगा।

रालोद की डैमेज कंट्रोल की कोशिश तेज
मीरापुर उपचुनाव में टिकट को लेकर शुरू हुई नाराजगी दूर करने के लिए रालोद के रणनीतिकार टिकट हासिल करने में मायूस रहे दावेदारों से मिलने में जुट गए हैं।कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार, शामली विधायक प्रसन्न चौधरी, क्षेत्रीय चेयरमैन योगेंद्र सिंह और जिलाध्यक्ष संदीप मलिक ने ऐसे लोगों से संवाद किया। इसी के साथ बताया जा रहा है कि रालोद अध्यक्ष जयंत सिंह मीरापुर क्षेत्र में प्रचार की कमान खुद संभालेंगे। दिवाली के बाद रोड शो या किसी जनसभा से प्रचार की शुरुआत होगी। इस सीट पर रालोद अध्यक्ष के अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य,बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी आदि ही प्रचार करेंगे।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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